एक तिनके भर की थी ज़िन्दगी
उसी को टटोला, उसी को तराशा
उसी में सफल्ता, उसी में तमाशा
और उसी से जोड़ ली तूने जग भर की आशा।

पर एक तिनके भर की ही तो थी ज़िन्दगी।

अब इतना बोझ उठाए कौन
अब तुझको ये समझाए कौन
कि दुख़ के ये जो प्याले हैं
मिट्टी में मिलने वाले हैं
इन प्यालों से तू डरता है
डर-डर के सीधा चलता है
सूरज को कभी देखा है
कि वो कल के अंधियारे से डरता है?

कल को किसने देखा है
सब जीवन का लेखा है
एक कल से तू घबराएगा
एक कल पे तू पछताएगा
तो ये तो बता के जा तू
कि आज कैसे हस पाएगा?

इक तिनका डूबा प्याले में
मिल गया वो भी भु-अंधियारे में
तू पल-पल सोचा करता है
कि इस आग में बस तू जलता है

पर तू तो बस एक तिनका है
खुशियों का खज़ाना जिनका है
देखो उनके द्वार खुले हैं
आशा-निराशा से वो परे हैं

फिर आखिर इतना रोना क्यूँ
हसने के मौके खोना क्यूँ
खुशियों की जो बारिश है
तिनके पे पड़ने वाली है

हसी-मग्न जो प्याले से ध्यान भंग करते हैं
सुना है उनके प्याले जल्दी टूटा करते हैं!

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